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Thursday, January 22, 2015

कैसी होती है हमारी प्यारी माँ ( उद्गार)



कैसी होती  है हमारी प्यारी माँ 
        जब भी हम रोते तो हँसाती हमारी माँ 
खुद गीले पर सोती अपनी माँ 
      सूखे पर सुलाती हमें हमारी  माँ 
जब हमारा कोई नही बनता 
        उस वक़्त बनती है हमारी माँ 
काँटे देती है दुनिया हमें सदा 
       फूलों पर सुलाती सदा हमारी माँ 
गमों से घिरे रहते हैं हम सदा 
       खुशियों से लपेटे रखती सदा हमारी  माँ 
दुनिया देती है जगह हमें इधर -उधर 
       दिल में रखती है सदा हमें हमारी माँ 
ख्याल सदा नहीं रखता कोई हमारा 
       देखभाल सदा रखती है हमारी माँ 
सब कहते हैं स्वर्ग दुनिया का है और कहीं 
      पर स्वर्ग देती है अपने ही चरणों हमारी माँ 
कोई कहता माँ ऐसी है कोई कहता वैसी है 
     पर परिभाषा रहित होती है सदा हमारी माँ 
सहारा देतें हैं सभी सहारे वालों को 
     बेसहारों को सहारा देती है हमारी माँ 
कोई खिलायेगा इक या दो दिन हमें   
         पर अन्नपुर्णा होती है सदा हमारी माँ 
हम रोतें रहें सदा परवाह है किसे 
         पल में  ही रो देती है हमारे लिए हमारी माँ  
करो कुछ भी खुश होता नहीं कोई सदा 
       खुशहाल हो जाये छोटी सी मुस्कान से हमारी माँ 
हम रहें किसी भी हाल में परवाह न करे कोई 
       पर जुदा इक पल भी न हो हम से हमारी माँ 
सब कहें हमारा खुदा कहीं और है 
       पर हमारा खुदा हमारे घर में है हमारी माँ 
चलें हमेशा उन्हीं राहों पर 
      जिस पर चलने को कहे हमारी प्यारी माँ 
दुनिया तो सदा डाले हमें उलटी राहों पे 
     पर रास्ता सीधा दिखाती सदा हमारी माँ 
सब धकेलें हमें सदा अंधेरों में 
     अंधेरों में भी रोशनी दिखाये हमारी माँ 
हों नतमस्तक सदा माँ के श्री चरणों में 
      खुदा भी खुश होते सदा अगर खुश हो हमारी माँ 
झोली भरो अपनी माँ के आशीषों से सदा 
      खुशियाँ मुड़ -मुड़ के आएँगी तुम्हारे दामन में 
माँ लेती नहीं कुछ देती है सदा -सदा 
      अरे माँ होती है ऐसी जिस के चरणों खुद झुके खुदा  
                                                             खुद झुके खुदा 
                                                                खुद झुके खुदा । 

                                                                               {माँ के श्री चरणों में वन्दन}     



















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