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Monday, January 19, 2015

सुसंस्कारिता

                                        सुसंस्कार 

जब हम सुसंस्कार शब्द के बारे में बोलते हैं या सुनते हैं 
तो हम सभी मन ही मन अपने भीतर सावधान होने के 
लिए प्रेरित होने जैसा महसूस करते हैं और फिर अच्छा 
भी लगता है। सुसंस्कार शब्द के  अर्थ  की  गहराई को  
परिभाषित करने की चेष्टा करें तो छोटा मुहं बड़ी बात 
वाली कहावत होगी,क्योंकि सुसंस्कार शब्द अपने आप 
में एक व्यापक अर्थ को अपने भीतर समाये हुए है,अगर 
हम सब इसका मतलब समझने की कोशिश करें तो बस 
यही समझ आता है,कि जैसे सुसंस्कार शब्द हमें अपनी 
-अपनी मर्यादा और शिष्टाचार भरे जीवन शैली की और 
प्रेरित कर रहा हो। हम ज्युँ  कहे तो सुसंस्कार शब्द हमारे 
मन के भीतर बैठे अध्यापक जैसा ही है,जो हमें अपने 
जीवन को सुव्यवस्थित और श्रेष्ठ आचरण धारण करने 
के लिए प्रेरित करता रहता है।और इसी सुसंस्कार शब्द की 
प्रेरणा से हम स्वयं सुव्यवस्थित और श्रेष्ठ आचरण वाले 
होते हैं ,और अपने आने वाली पीढ़ीओं [संतानों] को  श्रेष्ठ
आचरण धारण करने के लिए प्रेरित करते हैं,और अगर हम 
मिल इस सुसंस्कार शब्द की गरिमा को बनाये रखेंगें तो 
फिर सारी दुनिया में सम्पूर्ण मानव-जाति को कुसंस्कारों,
अपराधों,अमानविय कर्मों,दंगें-फसादों और भी कई तरह की 

बुराइओं से सहजता से हि बचाया जा सकता है।  

















                 सुसंस्कार  कब  से------?

                       
   अब हम बात अथवा विचार इस विषय पर करते हैं,कि हम सब 
को अपने जीवन में सुसंस्कारों को कब और किस समय स्थान 
देना चाहिये,अगर हम इस के समय की सीमा बाँधे तो फिर यह 
एक हास्यास्पद अथवा वयंगात्मक बात होगी,पर इस प्रश्न के 
जवाब से पहले हमें निम्नांकित कुछ महत्बपूर्ण प्रश्नों के जवाब 
ढूंढने अथवा देने होंगे :-

1.जब कोई भी जीव दुनिया में जन्म लेता है तब उसे कब साँस 

   लेना शुरू करना चाहिये------?   ज़वाब मिलेगा ------शुरू से  

2.जब हम कोई गाड़ी खरीदें तो कोई हम से पूछे की भाई साहेब 

   अगर आप को यह गाड़ी चलानी हो तो आप इस में पेट्रोल कब 
   डालेंगे तो ------?                      ज़वाब मिलेगा ------शुरू से

3.जब कोई हम से पूछे की अगर हम को अपने बच्चों को डॉक्टर 

   अथवा इंजीनियर बनाना तो हम को अपने बच्चों को कब शिक्षा 
   देना प्रारम्भ करना चाहिये------?ज़वाब मिलेगा ------शुरू से 

4.जब कोई किसान अपने खेत में बीज बोय तो उस से कोई पूछे 

   की वो कब बीज को पानी देगा ----?ज़वाब मिलेगा ------शुरू से

   इसी प्रकार जब हम यह बात करें की हमें अपने बच्चों में अथवा 

   अपने स्वयं के जीवन में सुसंस्कारों को कब स्थान देना चाहिये       
   अथवा किस समय से हमें सुसंस्कारों को अपने जीवन में भर 
   लेना चाहिये तो इस बात पर भी हमारे मन में कोई भेद नही 
   होना चाहिये,कि हमें इस बात का जवाब देने के लिए सोचना 
   पड़े,अगर हमें अपने बच्चों के भविष्य को सही रूप में सवारना 
   हो तो हमें शुरू से ही सुसंस्कारों को अपने बच्चों के भीतर भर 
   देना चाहिये,ताकि आने वाले समय में हमारे बच्चे सारी दुनिया 
   का नेतृत्व करने के लिए सक्षम हों। और यह हमारी एक नैतिक 
   जिम्मेबारी भी बनती है ,आज सारी दुनिया में हम को जो भी 
   असमानताएं , अपराध अथवा कोई भी कुरीतियां नज़र आ रही 
   हैं उनका बस एक ही कारण है और वो है हम सब में सुसंस्कारों
   की कमी ,जो आज की एक गम्भीर समस्या है ,और इस का एक 
   ही उपाय है वो यह की हम सब में शुरू से ही सुसंस्कारों का होना 
   अति जरूरी है ,जिस से सारी दुनिया में स्वर्ग सा माहौल बन सके,
   और हमारी नई पीढ़ियाँ एक सुदृढ सम्राज्य और प्यार भरे माहौल
   में फलें-फूलें । 


{नोट :-आओ हम सभी छोटे-छोटे और प्यार भरे सुसंस्कारों को अपने 

           सभी बच्चों में भरें और उनको और उनके भविष्य को सुरक्षित
           करें,यह आज एक अत्यंत गम्भीर विषय है अता:इस गम्भीरता 
           को समझने की कोशिश करें -------------धन्यवाद!!!   


 











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