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Sunday, January 18, 2015

वास्तविक प्रार्थना {REAL PRAY}

हे  इस  पुण्य  धरा  पर  रहने  वाले  इंसानो  आओ मिल 
-कर  करें  परमपिता  परमात्मा  से  ऐसी  दिव्य  सर्व - 
जनिक  प्रार्थना  जिस  से  हो  सके  विश्व  का  दिव्य                                  निर्माण-----।
1.   हे प्रभु हम से कोई भी ऐसा कार्य न हो जो हमें  तुमसे दूर करदे। 

2.  हे प्रभु हम से कोई भी ऐसा भोजन न हो जो दूसरों के हक़ का हो। 

3.  हे प्रभु हम कोई  भी ऐसा दृश्य न देखें जो दोष दृष्टि पैदा करे । 

4.  हे प्रभु हमसे कोई भी ऐसा कार्य न हो जो निंदनीय हो। 

5.  हे प्रभु किसी की ऐसी दशा न हो जो हमारी आंखों में आंसू लाये।

6.  हे प्रभु हमारे हाथ आपको पुकारने के लिये उठे न की दूसरों की इज्ज़त 

      उछालने के लिए। 

7.  हे प्रभु हमें ऐसी दिव्य दृष्टि दें कि हम जिस तरफ भी देखें आपके ही           दर्शन हों।   

8.  हे प्रभु हम जो बोले केवल  आप ही की प्रसन्नता  के  लिए  बोले । 


9.   हे प्रभु हम जिस से भी मिलें प्रभु भाव  से ही  मिलें । 


10. हे प्रभु हम से जो भी हो वो प्राणी मात्र के लिए प्रेरणा श्रोत हो जाए। 


11. हे प्रभु हम जो भी देखें वो केवल प्रभु भाव से ही देखें । 


12. हे प्रभु हमारे द्वारा आप की कुदरत में किसी भी तरह का बिगाड़ न हो। 

13. हे प्रभु हम दूसरों की उन्नति में हमेशां ही प्रसन्न चित रहें । 

14. हे प्रभु हम कभी भी दूसरों के दुःख व्  कष्टों का कारण न बनें ।


15. हे प्रभु हम पर ऐसी कृपा करना की हमारा वास केवल आप के हिर्दय           में हि हो । 

16. हे प्रभु हम धन -दौलत के नशे में अन्धें न हों ,केवल आप हि के प्रेम में 
      अन्धें में हों । 
17.हे प्रभु हम हमेशा इन्सानियत का धर्म ही निभाएं न की हैबानीयत का। 

18. हे प्रभु हम हमेशा दूसरों के कार्य सवारने के काम आएं ना दूसरों के 

      कार्य बिगाड़ने के । 
19. हे प्रभु हमारे दिल में हर एक जीव-जन्तु के प्रति दया भावना बनी रहे। 

20. हे प्रभु हमारे जीवन में हमेशा आपके दिव्य ज्ञान का प्रकाश बना रहे। 


21.  हे प्रभु हम से कोई भी ऐसे कार्य मत करवाना जिससे हम इंसानी राह 

      से भटक कर शैतानी राह की और चल दें । 

22.  हे प्रभु हम हमेशा दूसरों को सुख और चैन देने वालों की कतार में ही 

       नज़र आयें । 

23.   हे प्रभु मेरे कोई भले तेरी बनाई हुई वस्तुएं के पीछे भागे पर हे मेरे 

        मालिक मैं हमेशा तुझको  ही पाने के लिए  भागता फिरूँ।  

24.   हे प्रभु हमें कुछ भी पता नहीं की हमारे लिए क्या भला या बुरा 

        है पर आप हमें वो ही जो देना जो आपकी आपकी मर्जी के अनुकूल 

        हो ।   

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