आज के इस अति दौड़ -धूप व् एक दूसरे से आगे निकलने
की हौड़ में आज का हर इन्सान एक मशीन सा बन कर
रह गया है ,और इस अन्धी दौड़ में आज के इन्सान को इस
बात की जरा सी भी खबर नहीं कि वो इस दुनिया की भौतिक
बस्तुयों को पाने के लिए किन -किन महत्बपूर्ण विषयों को
दावों पर लगा चुका है ,और वह I AM THE BEST दिखने की
हौड अपने सारे आदर्शों को एक किनारे पर छोड़ चुका है ,और
इंसानीयत पर विजय श्री पाने के लिए आज का इन्सान हैबानियत
के हथकंडे अपना रहा है ,अपनों को ही धोखा दे कर अपने लिए
महल खड़े कर रहा है ,अपनों को लड़ा कर अपना उल्लू सीधा
कर रहा है ,जिस डाल का सहारा ले कर बैठा है उसी को काटने
को उतारू हो चुका है ,अपनों को ही मायूस और बेसहारा कर के
ख़ुशी का इज़हार कर रहा है ,लेकिन ऐसा कर के सब से बड़ा
नुक्सान जो वो कर रहा है ,वो यह की वो सारी उमरभर के लिए
अशांति के बीज अपनी ही राहों में बीज रहा है ,अगर इन्सान
तनिक इक पल के लिए यह सोचे की ये जो सारी उपलब्ध्यिां
उसने हासिल की वो भी इस लिए' कीं,कि वो उनके साथ सारी
उम्र शान्ति से वयतीत करेगा ,आखिर उसके अंतर -मन में
भी अपनी मानसिक शान्ति पाने की प्रगाढ़ इच्छा है ,तो उसे
इस बात के लिए भी अवशय जाग्रत होना ही चाहीए की
अगर मैं किसी को किसी भी तरह से अशांति प्रदान करता
हूँ तो मैं इस बात के लिए कैसे स्वस्थ रहूँ की मुझे अशांति
के बदले शान्ति ही मिलेगी ,ये तो सम्भव हो हि नहीं सकता।
इसलिए हे दुनिया के इंसानों आओ हम सभी मिल के एक
ऐसा प्रण करें की वस जो हो गया वो हो चूका ,अब भविष्य
में हम कोई भी ऐसा कर्म न करें जिस से हम स्वयँ अपनी
और किसी दूसरों की मानसिक अशांति व् उद्विघ्नता का
कारण बने ,और यही मानवता की श्रेष्ठ व् सच्ची सेवा होगी।
और हमें अपने जीवन पर्यन्त किसी भी तरह
की मानसिक अशांति का सामना न करना पड़े ,उस के लिए
हम सब को स्वयँ अपनी दिनचर्या और अपने जीवन काल
में कुछ' छोटे -छोटे पर महत्बपूर्ण नियमों का पालन करने
और प्यार से दूसरों से करवाने का संकल्प करें ,जिस से हर
कोई अपने जीवन में वास्तविक मानसिक शान्ति के आनंद
को प्राप्त कर सके ------TO CONTD----- धन्यबाद
की हौड़ में आज का हर इन्सान एक मशीन सा बन कर
रह गया है ,और इस अन्धी दौड़ में आज के इन्सान को इस
बात की जरा सी भी खबर नहीं कि वो इस दुनिया की भौतिक
बस्तुयों को पाने के लिए किन -किन महत्बपूर्ण विषयों को
दावों पर लगा चुका है ,और वह I AM THE BEST दिखने की
हौड अपने सारे आदर्शों को एक किनारे पर छोड़ चुका है ,और
इंसानीयत पर विजय श्री पाने के लिए आज का इन्सान हैबानियत
के हथकंडे अपना रहा है ,अपनों को ही धोखा दे कर अपने लिए
महल खड़े कर रहा है ,अपनों को लड़ा कर अपना उल्लू सीधा
कर रहा है ,जिस डाल का सहारा ले कर बैठा है उसी को काटने
को उतारू हो चुका है ,अपनों को ही मायूस और बेसहारा कर के
ख़ुशी का इज़हार कर रहा है ,लेकिन ऐसा कर के सब से बड़ा
नुक्सान जो वो कर रहा है ,वो यह की वो सारी उमरभर के लिए
अशांति के बीज अपनी ही राहों में बीज रहा है ,अगर इन्सान
तनिक इक पल के लिए यह सोचे की ये जो सारी उपलब्ध्यिां
उसने हासिल की वो भी इस लिए' कीं,कि वो उनके साथ सारी
उम्र शान्ति से वयतीत करेगा ,आखिर उसके अंतर -मन में
भी अपनी मानसिक शान्ति पाने की प्रगाढ़ इच्छा है ,तो उसे
इस बात के लिए भी अवशय जाग्रत होना ही चाहीए की
अगर मैं किसी को किसी भी तरह से अशांति प्रदान करता
हूँ तो मैं इस बात के लिए कैसे स्वस्थ रहूँ की मुझे अशांति
के बदले शान्ति ही मिलेगी ,ये तो सम्भव हो हि नहीं सकता।
इसलिए हे दुनिया के इंसानों आओ हम सभी मिल के एक
ऐसा प्रण करें की वस जो हो गया वो हो चूका ,अब भविष्य
में हम कोई भी ऐसा कर्म न करें जिस से हम स्वयँ अपनी
और किसी दूसरों की मानसिक अशांति व् उद्विघ्नता का
कारण बने ,और यही मानवता की श्रेष्ठ व् सच्ची सेवा होगी।
और हमें अपने जीवन पर्यन्त किसी भी तरह
की मानसिक अशांति का सामना न करना पड़े ,उस के लिए
हम सब को स्वयँ अपनी दिनचर्या और अपने जीवन काल
में कुछ' छोटे -छोटे पर महत्बपूर्ण नियमों का पालन करने
और प्यार से दूसरों से करवाने का संकल्प करें ,जिस से हर
कोई अपने जीवन में वास्तविक मानसिक शान्ति के आनंद
को प्राप्त कर सके ------TO CONTD----- धन्यबाद
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