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Monday, December 8, 2014

PROMOTE SELF HUMANITY

                    

स्वयं इंसान बने 
                                                                                                                    
  हम सभी अपने घर के भीतर कहीं  बाप, कहीं  बेटा , कहीं  चाचा ,कहीं  मामा  और  भी  कई  तरह के 

 रिश्तेनातों  और  कई  तरह की जातों -पातों  में  बन्धे  होते हैं ,परन्तु  जब  हम  अपने-अपने  घरों  से बाहर    


निकलें तो  उस वक़्त हम  सारे रिश्तेनाते और  जातपात  से ऊपर उठ कर एक इंसान बन के ही निकलें ,और 


अगर हम  सब  ऐसा  करते  हैं,तो  हम वास्तव में  अपना  इंसानी  धर्म  अदा  करते  हैं ,क्योंकि  जब  हम  


समाज  में  एक  इंसान  बन  के  कार्य  करेंगे  तो  हम  निरपेक्ष  भाव  से कार्य  कर  पायेँगे ,जिसकी  आज  के 


मानव  समाज  को  बहुत  बड़ी जरूरत  है ,क्योंकि  जब हम  कोई भी  कार्य  जात-पात  और    रिश्ते-नातों  से 


ऊपर उठ  कर  निरपक्ष  भाव से  केवल मात्र  मानवता के मूल्यों को  ध्यान  में रखते  हुए  करेंगे ,तो  फिर  हमें 


दुनिया  में  कहीं  भी  सामाजिक ,मानसिक और  आर्थिक  शोषण  जैसी  असमानताएँ  नज़र  नहीं  आयेंगी। 


और केवल  यही  मानव मात्र की  वास्तविक समृद्धि और सच्ची  सेवा  होगी ,तो  फिर घर हो जा बाहर  फिर 


हमारे   द्वारा  कभी भी अन्याय और पक्षपात के कार्य  नहीं  होंगे ,और फिर हम स्वयं भी एक नेक इंसान की 


परिभाषा  से  परिभाषित होगेँ ,जिस  पर हमे स्वयं पर भी गर्व होगा ,और फिर  किसी भी प्रकार के अच्छे  कार्य  


पर अपने आप पर गर्व होना कोई  बुरी  बात  नहीं होती।और  ऐसा  करना सब के बश में है--------धन्यवाद !!!


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