यह कैसी है कुदरत कहे सब कुछ बिना ही कहे ,
कुदरत ले लेती है करवट बिना कुछ कहे !
हवाएं भी हैं चलती बिना कुछ कहे ,
मेघ सब पर हैं बरसें भेद बिना ही किये !!
सूर्य चमके है जग में वो भी सब के लिए ,
नदियां कल -कल बहती हैं जाती सब लिए!
पेड़ देतें हैं छाया भेद बिना कुछ किए,
धरती देती है सब कुछ बिना कुछ लिए!!
कुदरत करती है इशारा जियो सब के लिए,
बनो कुदरत के जैसे जियो सब के लिए !
भगवान बसते हैं सब में वो भी सब के लिये,
बनो भगवान तुम भी जियो सब के लिए !!
सरहदों से उठो तुम आसमां में जियो,
उड़ो तुम भी गगन में बिना पंख लिये !
यह विडंबना है कैसी मर रहा हर कोई,
आज सिर्फ अपने लिए-सिर्फ अपने लिए !!
आओ सभी मिलजुल कर्म करें ऐसे,
जियें सब के लिए - जियें सब के लिए !
मिटे भेदभाव सारे रहें सब मिलजुल कर,
फिर दिल से यह निकले गाएं सभी मिल कर !!
नहीं हम किसी एक ही वतन के,
यह सारा जहाँ हमारा-यह सारा जहाँ हमारा !
सब को गले लगाएं गाएं सभी मिल कर,
यह सारा यहांँ हमारा-यह सारा यहाँ हमारा !!
{प्राथर्ना सभी से :-जो आप सभी ऊपर गा चुके हैं कृप्या उसी भाव से उसी प्रण अपने घर के भीतर -
और घर से बाहर प्यार भरा माहौल बनाइये और सब के लिए जियें अगर ऐसा हो जाता है फिर हम गर्व से कह सकते हैं कि हम सभी दुनिया के नागरिक हैं न की एक देश के क्यों की आज एकदेशीता सब सब प्रकार के मूल झगड़ों का कारण है -धन्यवाद }
कुदरत ले लेती है करवट बिना कुछ कहे !
हवाएं भी हैं चलती बिना कुछ कहे ,
मेघ सब पर हैं बरसें भेद बिना ही किये !!
सूर्य चमके है जग में वो भी सब के लिए ,
नदियां कल -कल बहती हैं जाती सब लिए!
पेड़ देतें हैं छाया भेद बिना कुछ किए,
धरती देती है सब कुछ बिना कुछ लिए!!
कुदरत करती है इशारा जियो सब के लिए,
बनो कुदरत के जैसे जियो सब के लिए !
भगवान बसते हैं सब में वो भी सब के लिये,
बनो भगवान तुम भी जियो सब के लिए !!
सरहदों से उठो तुम आसमां में जियो,
उड़ो तुम भी गगन में बिना पंख लिये !
यह विडंबना है कैसी मर रहा हर कोई,
आज सिर्फ अपने लिए-सिर्फ अपने लिए !!
आओ सभी मिलजुल कर्म करें ऐसे,
जियें सब के लिए - जियें सब के लिए !
मिटे भेदभाव सारे रहें सब मिलजुल कर,
फिर दिल से यह निकले गाएं सभी मिल कर !!
नहीं हम किसी एक ही वतन के,
यह सारा जहाँ हमारा-यह सारा जहाँ हमारा !
सब को गले लगाएं गाएं सभी मिल कर,
यह सारा यहांँ हमारा-यह सारा यहाँ हमारा !!
{प्राथर्ना सभी से :-जो आप सभी ऊपर गा चुके हैं कृप्या उसी भाव से उसी प्रण अपने घर के भीतर -
और घर से बाहर प्यार भरा माहौल बनाइये और सब के लिए जियें अगर ऐसा हो जाता है फिर हम गर्व से कह सकते हैं कि हम सभी दुनिया के नागरिक हैं न की एक देश के क्यों की आज एकदेशीता सब सब प्रकार के मूल झगड़ों का कारण है -धन्यवाद }
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